Animal Care: खेत, जंगल और खुले मैदान में उगने वाली खरपतवार पशुओं को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के साथ ही है उनके दूध, मीट एवं ऊन के उत्पादन को भी प्रभावित करती है. इसी के चलते पशुपालकों को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन, अगर पशुपालक पशुओं को चराने के दौरान खरपतवार को लेकर अगर जागरुक रहें तो इस भारी नुकसान से बचा जा सकता है.
खेत-जंगल समेत खुले में पशुओं को चराना जितना लाभदायक है उतना ही जोखिमभरा भी है. बिभिंन बार गाय-भैंस और भेड़-बकरी खुले में चरते समय अनेक बड़ी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि पशु जहां भी खुले में चरने जा रहे हैं पशुपालक उस जगह पर पूरी नजर रखें. क्योंकि खरपतवार किसान ही नहीं बल्कि पशुपालक को भी काफी परेशान करती है. एक्सपर्ट की मानें तो खरपतवार केवल खेत में ही नहीं खुले मैदान में कहीं भी हो सकती है. यहां तक की सड़क किनारे नाले अथबा नाली के पास भी उग आती है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि खरपतवार पशुओं के लिए भी काफी नुकसानदायक होती है. क्योंकि खेत-जंगल और खुले मैदान में चरने के दौरान पशु हरी पत्तियां और तने को ही खाते हैं. ऐसे में तने-पत्तिायों के साथ मिलकर उसमे खरपतवार भी शामिल हो जाती है. और यही खरपतवार पशुओं में बहुत सारी बीमारियों की वजह बनने के साथ ही उनके उत्पादन को भी कम कर देती है. कुछ मामलों में तो इस खरपतवार के चलते इससे पशुओं की मौत भी हो जाती है.
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खरपतवार से गाय-भैंस अथबा भेड़-बकरी को होने वाले नुकसान
- लैंटाना कैमरा की पत्तियां खाने से पशु पीलिया का शिकार हो जाता है. इससे पशुओं की आंखों पर भी गहरा असर पड़ता है.
- गाजर घास के संपर्क में आने से पशु को खुजली हो जाती है. शरीर पर सूजन भी आ जाती है.
- कॉकलेबर अथबा छोटा धतूरा पशु के लीवर पर अटैक करता है. जिसके चलते पशु को पीलिया हो जाता है. किडनी और हॉर्ट पर भी असर डालता है.
- जॉनसन घास जहरीली होती है. इसका असर पशु के पूरे शरीर पर देखने को मिलता है.
- पंक्चबरवाइन खरपतवार सूखे इलाके में होती है. इस वजह से इसका सबसे अधिक शिकार भेड़ होती हैं. ये भेड़ों की आंखों की रोशनी पर असर डालती है. खुरों में घाव कर देती है. इतना ही नहीं पशुओं के शरीर में पंक्चर कर देती है.
- जैंथियम स्ट्रैखमारियम का फल पशुओं के शरीर पर चिपक जाता है. क्योंकि ये फल कांटेदार होता है तो इसके चलते पशुओं को बेहद परेशानी उठानी पड़ती है.
- एस्ट्रातग्लाओस खरपतवार खासतौर पर राजस्थान में होती है. अगर गर्भवती भेड़ और बकरी इसे खा लें तो उनका गर्भपात हो जाता है.
- रोडो डेंड्रोन खरपतवार कश्मीर में होती है. अगर इसे भेड़ अथबा बकरी खा ले तो उन्हें दस्त लग जाते हैं. साथ ही ये उनके दूध और खून पर भी असर डालता है.
- पत्ते्दार स्पेरेज के खाने से पशुओं को दस्त लग जाते हैं. ये कमजोरी पैदा करता है. खासतौर पर ये भेड़ के लिए बहुत ही खतरनाक माना जाता है.
- सूखे की स्थिति में चेनोपोडियम खरपतवार पनपने लगती है. इसमे नाइट्रोजन की मात्रा एक हजार पीपीएम तक पहुंच जाती है. और जब पशु इसे खाता है तो उसे सांस की बीमारी हो जाती है.
- नीटल खरपतवार के बाल से पशुओं में खुजली होने लगती है.
- भेड़-बकरी और याक से ऊन मिलती है. हालाँकि जैन्थियम स्पेसिस खरपतवार जब इनके शरीर से चिपकती है तो उनके शरीर पर मौजूद रेशे को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती रहती है.
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